Teri baato ka lehza sudhar thoda ,
Dil me jo chupa h pyar usko bahar nikal thoda ,
Kyu itni berukhi se karti h tu baate kai baar ,
Narazgi chod apni mere rote dil ko bhi to sambhal thoda .
तेरी बातो का लेहज़ा सुधार थोडा ,
दिल में जो छुपा है प्यार उसको बहार निकाल थोडा ,
क्यों इतनी बेरुखी से करती है तू बाते कई बार ,
नाराज़गी छोड़ अपनी मेरे रोते दिल को भी तो सभाल थोडा ।
sad shayari
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