पहुँच जाती है एक मुकाम पर इस वक़्त ख़ामोशी रात की ,
सुनाई देने लगती है हर एक चीख इस दिल-ए-बेक़रार की ,
लोग हर तरफ नींद लिए ख्वाबो में खोये होते है जिस वक़्त ,
उसी वक़्त रो रो अश्क़ बहाता है आशिक़ याद में अपने यार की ।
Pahuch jaati hai ek mukam par is waqt khamoshi raat ki ,
Sunai dene lagti hai har ek cheekh is dil-e-bekarar ki ,
Log har taraf neend liye khawabo me khaoye hote hai jis waqt ,
Usi waqt ro ro ashq bahata hai
बैठा याद में टूटे ख्वाब की ।
sadness
No comments:
Post a Comment