आओ ऐसी प्रीत लिखें हम ,
मिलकर ऐसा गीत लिखें हम ।।
जात पांत और ऊंच नींच के
भेदभाव में जीना छोड़ें ।।
दिल के रिश्तों को न तोड़ें
अपनों से यूँ नाता जोड़ें ।।
दिल के पन्ने के हर कोने पर
दुश्मन को भी मीत लिखें हम ।।
आओ ऐसी प्रीत लिखें हम
मिलकर ऐसा गीत लिखें हम ।।
हर गरीब को अपना मानें
उनका हर दुःख अपना जानें ।।
मन में श्रद्धा सुमन खिलाने
ग्रीष्म और पतझङ ऋतु को भी
पावस और बसंत लिखें हम ।।
आओ ऐसी प्रीत लिखें हम ,
मिलकर ऐसा गीत लिखें हम ।।
मिलकर ऐसा गीत लिखें हम ।।
जात पांत और ऊंच नींच के
भेदभाव में जीना छोड़ें ।।
दिल के रिश्तों को न तोड़ें
अपनों से यूँ नाता जोड़ें ।।
दिल के पन्ने के हर कोने पर
दुश्मन को भी मीत लिखें हम ।।
आओ ऐसी प्रीत लिखें हम
मिलकर ऐसा गीत लिखें हम ।।
हर गरीब को अपना मानें
उनका हर दुःख अपना जानें ।।
मन में श्रद्धा सुमन खिलाने
ग्रीष्म और पतझङ ऋतु को भी
पावस और बसंत लिखें हम ।।
आओ ऐसी प्रीत लिखें हम ,
मिलकर ऐसा गीत लिखें हम ।।
Viky Chahar
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