वक़्त के हाथो मजबूर है सब यहाँ ,
किसका ज़ोर चलता है घडी के चलते काँटों पर ,
जख्म देने का शोक लेके चलते है सब यहाँ ,
वरना लगता है तुम्हे नज़र न पड़ती होगी गुलाब के साथ दिए काँटो पर ।
Waqt ke hatho majbur hai sab yaha ,
kiska zor chalta hai ghadi ke chalte kanto par ,
jakhm dene ka shok leke chalte hai sab yaha ,
warna lagta hai tumhe nazar na padti hogi gulab ke sath diye kanto par .
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