कान्हा तेरी प्रीत में है गयी में दिवाणी
राधा तेरी प्रेम दिवाणी मीरा दरश दिवाणी
दर दर भटके दर दर घूमे वा तो दरश दिवाणी
कान्हा तेरी प्रीत में है गयी में दिवाणी
नाय कछु सोचूँ नाय कछु समझूँ
बस तेरे दर्शन की प्यासी रे कान्हा तेरे चरणन की दासी
कान्हा तेरी प्रीत में है गयी में दिवाणी
रोते और पथराते नैना तेरी राह निहारें
सूखे और प्यासे अधरों से तेरा नाम उचारें
हो, दर्शन दैजा रे सांवरिया सुध बुध गयी बिसरानी
कान्हा तेरी प्रीत में है गयी मैं दिवाणी ।
Viky Chahar
aapne bahut hi acchha lekh prastut kiya he. keep sharing
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